आयुर्वेदिक जीवनशैली

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आयुर्वेदिक जीवनशैली

समाज की नई पीढ़ी ने मानो आयुर्वेदिक जीवनशैली को पूरी तरह भुला दिया है। और यही कारण भी है जिससे कई प्रकार की बीमारियाँ इनपर हावी हो रही हैं। साथ ही साथ यह भी सच है कि जहां एक तरफ स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ी हैं वहीं दूसरी तरफ नई पीढ़ी में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। हम इस आधुनिक जीवनशैली के लिए हमारी नई पीढ़ी को पूरी तरह दोषी भी नहीं ठहरा सकते हैं। क्योंकि आज की सामाजिक व्यवस्था भी कुछ ऐसी है कि स्वास्थ्य का पूरा पूरा ख्याल रख पाना भी थोड़ा कठिन हो गाया है।

हर कोई चाहता है कि वह स्वस्थ रहे पर व्यस्तता के कारण स्वास्थ्य को समय नहीं दे पाता है। सुबह ऑफिस में समय पर पहुँचने की जल्दी लगी रहती है । शाम तक काम से थक कर जब घर लौटना हो तो बचा कुचा समय ट्रैफिक खा जाता है। घर पहुँचकर थोड़ा मनोरंजन के लिए टीवी , मोबाइल आदि का उपयोग करता है। और टीवी मोबाइल की लत ऐसी के समय का पता भी नहीं चलता है । अब देर रात को सोकर सुबह जल्दी उठने पर शारिरिक और मानसिक थकान उतरने का समय ही नहीं मिल पाता है। फिर इसी थकान और आलस्य को लेकर सुबह फिर ऑफिस की ओर दौड़ पड़ता है ।

पोषण के बगैर स्वास्थ्य की कल्पना भी झूठी है । एक तरफ रसायनिक खाद्य पदार्थ और उसपर खाद्यपदार्थों में मिलावट के कारण शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व नहीं मिल पा रहा है। पोषक तत्वों की कमी के कारण उन पोषक तत्वों से संबंधित अंगों में कमजोरी उत्पन्न हो जाती है। और यह कमज़ोरी धीरे धीरे रोगों में परिवर्तित हो जाती है । “जहाँ चाह वहाँ राह ” । युवा पीढ़ी ने भी कमर कसकर स्वस्थ जीवन मार्ग पर कदम बढ़ा दिया है । आधुनिक जीवनशैली से निपटते हुए युवा पीढ़ी ने आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपनाना शुरू कर दिया है। अक्षय कुमार जैसे बड़े बड़े कलाकारों का भी बड़ा योगदान रहा है नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करने का ।

सूर्योदय से पहले उठना ,शौच, दन्तधावन से निवृत होकर तेल मालिश , व्यायाम और योग, प्राणायाम करना, स्नान , ध्यान, मंत्रजप से निवृत होकर पौष्टिकऔर हितकारी आहार ग्रहण करना, सांयकाल समय से भोजन करके थोड़ा टहलना , समय से सोना इत्यादि । नई पीढ़ी ने आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपने दिनचर्या में अभ्यास शुरू कर दिया है । जिसकी झलक हमारी युवा पीढ़ी में देखकर मन प्रसन्न हो जाता है ।